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Sunday, 23 June 2024

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जबसे कन्याकुमारी पहुंचे

 प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जबसे कन्याकुमारी पहुंचे हैं, आश्चर्य की बात नहीं है कि धर्मद्रोही हिन्दुओं को ही इससे सबसे ज्यादा आपत्ति हो रही है, किसी को दस्त तो किसी को उलटी हो रही है। अपने धार्मिक स्थान पर अपने इष्ट देवता की पूजा करने जाने वाला भक्त भी स्वधर्मियों द्वारा दुत्कार और तिरस्कार का पात्र बनता है यह केवल जाहिलो में ही संभव है। दरअसल सालों से अपने नेताओं को मस्जिदों और चर्चों में देखने की आदत पड़ी हुई है, इसलिए कट्टर हिन्दू का आवरण ओढ़ने पर भी मन्दिरों से घृणा की दबी हुई मानसिकता रक्तार्श की तरह उभरकर सामने आ जाती है। 


मोदी को ढोंगी कहने वाले अपने निजी जीवन में हिन्दू कर्मकांड और साधना की कितनी अहमियत समझते हैं, इसके लिए किसी बड़े परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। मोदी की तपस्या को ढोंग और पाखंड कहने वाले नास्तिक और वामपंथियों को मोदी का साधना बल सहन नहीं हो रहा है जैसे सूरज का तेज मच्छरों को सहन नहीं होता। मोदी का पूरा जीवन उनकी तपस्या की गवाही दे रहा है, इतना भारी राजयोग यूँ ही फलित नहीं हो गया है।


नरेन्द्र मोदी ने जब अक्षय कुमार को एक इंटरव्यू दिया था, हालाँकि हास्यास्पद बुद्धि वालों को तो सुईं के छिद्र में भी ... का दर्शन हो सकता है। इंटरव्यू में मोदी ने बताया था कि दिवाली के पांच दिन मैं निर्जन जंगल में गुफा आदि में चला जाता था और केवल पानी पीकर उपवास पर रहता था, केवल पानी पर। विशेष साधना के लिए दीपावली साल की सबसे बड़ी चार तांत्रिक रात्रियों में शामिल है, ये है, होली - दारुण रात्रि, दिवाली - काल रात्रि, शिवरात्रि - महा रात्रि, जन्माष्टमी - मोह रात्रि। दीपावली जैसे समय जब उत्तर भारत में हर कोई परिवार के साथ त्यौहार के आनंद लेना चाहता है, क्या उस समय कोई सामान्य या ढोंगी व्यक्ति साधना करने की सोच सकता है? साधना कोई जंगली घास नहीं है, वर्षों की खादपानी से परिपक्व होने वाला पुष्प है। मोदी के लिए ध्यान साधना कोई हॉलिडे एडवेंचर स्पोर्ट नहीं है, यह उनके जीवन का अंग है।


मोदी विरोधियों को हिन्दू धर्म का केवल इतना ही ज्ञान है कि जब एक बार मोदी ने प्रयागराज में स्नान के समय काले वस्त्र व रुद्राक्ष माला पहनी थी, उसकी यह लोग निंदा करने लगे थे। बिना यह सोचे कि जो मोदी त्रिपुरा, अरुणाचल से लेकर देश की सभी संस्कृतियों के वस्त्र पहनने से नहीं हिचकते क्या उन्हें काले कपड़ों पर उत्तर भारत की मान्यता का ज्ञान नहीं होगा? पर मोदी का ऐसा कोई भी कदम बिना सोचे समझे नहीं होता। मोदी ने उस दिन काले कपड़े में स्नान किया तो किया, क्योंकि मोदी शिवभक्त हैं, इसलिए ज्यादातर शिवमंदिरों में जाते दिखते हैं। उत्तर भारत में तो कम प्रचलित है पर दक्षिण के अनेक मन्दिरों में साधनाकाल में काले कपड़े अनिवार्य होते हैं, जिसमें सबरीमाला मन्दिर भी शामिल है। रामेश्वरम समेत अनेक शिवालयों में दक्षिण में साधक काले कपड़े पहनकर जाते हैं, और मोदी की महादेव भक्ति किसी से छुपी नहीं है, हालाँकि मानने वालों ने तो इस कारण महादेव को ही दुश्मन मान लिया! 





उसी इंटरव्यू में मोदी ने बताया था कि वह केवल जो साढ़े तीन घण्टे सोते हैं उसका राज 20 साल की साधनाकाल में छुपा है। कहा 20-22 साल जो मैं किया उस समय से आदत पड़ी। योगसूत्र में निद्रा को मल बताया गया है। साढ़े तीन घण्टे सोना केवल योगी कर सकते हैं, है कोई साधनहीन व्यक्ति जो केवल साढ़े तीन घंटे में नींद पूरी कर सकता हो? जिसके चित्त में तमस ज्यादा होता है उसे नींद ज्यादा आती है, और योग साधना से चित्तशुद्धि होती है, जिससे निद्रा घटती है। जैसे अर्जुन को गुडाकेश कहा जाता है क्योंकि उन्होंने निद्रा को जीत लिया था। 


मोदी के नवरात्रि व्रत के बारे में सब जानते ही हैं। इन्हीं मोदी ने श्रीरामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के समय 3 की तरह 11 दिन का उपवास केवल जल पीकर किया था। ऐसे योगी पूरे भारत में बहुत कम हो गए हैं, फिर एक राजनेता जिसे त्रिगुणों सत्व रज तम की आंधी से रोज दो चार होना पड़ता है, वह ऐसा तप करे यह आश्चर्यजनक है। अक्षय कुमार‌ ने पूछा जुखाम हो जाता है तो क्या करते हो, तो मोदी बोले केवल गर्म पानी पीकर उपवास करता हूँ। पर पिज्जा देखकर दांत चियारने वाले मोदी को धर्म का पाठ पढ़ा रहे हैं।


आज शायद सदियों बाद कोई शासक देश के लिए साधना कर रहा है, 74 की उम्र में बिना थके, बिना रुके, लगातार प्रचार करते हुए, सीधे कन्याकुमारी पहुंचा है, तो कुछ लोगों को उसके ध्यान से दिक्कत हो रही है। सवा सौ करोड़ का प्रतिनिधि व्यक्तिगत जीवन नहीं जी सकता। फोटो लेने से मोदी ढोंगी हो गया, और फोटो नहीं दिखाता तो रामायण काल के धोबी की बुद्धि वाले कांग्रेसी छाती पीटकर प्रमाण प्रमाण चिलाते है। राजा का जीवन राजा का नहीं होता, चन्द्रगुप्त का दुःख उचित ही था। जिस देश के नेता इतने गए बीते हैं कि कन्याकुमारी के दर्शन करने पर दारू पीते हुए प्रधानमन्त्री को गालियाँ दे रहे हैं, उस देश में मोदी कीचड़ में कमल की तरह खिल रहे हैं। 


पिछले 60-70 दिनों मे मोदीजी ने लगभग 206 रैलियां, 25 से ज़्यादा रोड शो, 80 से ज़्यादा इंटरव्यू, 200 से ज़्यादा उड़ानें, लगभग 1 लाख किलोमीटर की यात्रा, 200 घंटे से ज़्यादा भाषण दिए हैं और उसके बाद दो दिवसीय ध्यान कर रहे हैं, यह सब देखकर कोई अगर कहता है कि, "वो देवपुरुष हैं वो कुछ भी कर सकते हैं।" तो क्या गलत कहता है। जाने अनजाने ही चंपत राय जी के मुख से भी बहुत बड़ा सत्य निकल गया, उन्होंने कह दिया था कि, "मोदी इज़ नॉट अ मैन, ही इज़ समथिंग अबव इट। मनुष्य स्तर से कुछ ऊपर हैं।" रुबिका लियाकत ने हाल ही में प्रधानमंत्री के इंटरव्यू के बाद ऐसी बात कही थी। प्रधानमंत्री से मिलने वाले अनेक लोगों ने यह बार बार महसूस किया है कि उनमें कुछ ऐसा है जो साधारण मानवीय क्षमताओं और कल्पनाओं से परे हैं। न्यूज चैनलों को दिए इंटरव्यू में मोदी जी ने कहा था कि, "मैं साधारण मनुष्य नहीं हूँ। मेरा जन्म विशेष कार्य के लिए हुआ है और ईश्वर मुझसे वो कार्य सम्पन्न करवाकर रहेगा।" बिना दैवीय हस्तक्षेप के कोई भी श्रीरामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण नहीं कर सकता था, जो मोदी जी ने कर दिखाया।


करोड़ों  गालियाँ खाकर, षड्यंत्रों, आरोपों को झेलकर, एक निराशा के गर्त में जा रहे सवा सौ करोड़ लोगों के देश में उत्साह की अपूर्व उमंग फूंककर, करोड़ों हिन्दुओं को हीनभावना से निकालकर यदि मोदी ने पूर्ण बहुमत और अपरिमित यश पाया है तो उसके पीछे बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद जरूर है, क्योंकि जिसको शिव तारे, उसको फिर कौन मारे, और बाबा विश्वनाथ का यही आशीर्वाद विरोधियों और मोदी के तथाकथित अपनों के लिए जीवन मृत्यु की कसौटी बन पड़ी है। 


हर हर महादेव 

जय श्री राम



Wednesday, 19 June 2024

Nalanda visit

 It’s a very special day for our education sector. At around 10:30 AM today, the new campus of the Nalanda University would be inaugurated at Rajgir. Nalanda has a strong connect with our glorious past. This university will surely go a long way in catering to the educational needs of the youth.

Visiting the excavated remains of Nalanda was exemplary. It was an opportunity to be at one of the greatest seats of learning in the ancient world. This site offers a profound glimpse into the scholarly past that once thrived here. Nalanda has created an intellectual spirit that continues to thrive in our nation.